सरकार हुई सक्रिय,मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक करने की तैयारी।
नई दिल्ली,चुनाव सुधारों के लिए लंबे समय से उठ रही मांगों को देखते हुए सरकार एक बार फिर से सक्रिय हुई है। हालांकि यह सुधार कब तक जमीन पर उतर पाएंगे यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन चुनाव सुधार के जिन अहम बिंदुओं पर तेजी से काम चल रहा है, उनमें फर्जी मतदान और वोटर लिस्ट में दोहराव रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक करने, देश में एक ही मतदाता सूची तैयार करने, जिसका इस्तेमाल लोकसभा और विधानसभा चुनावों से लेकर पंचायत चुनावों तक होगा और चुनाव आयोग को और शक्तियां देने जैसे कदम शामिल हैं।
यह भी संभव है कि सरकार बहुत जल्द इस संबंध में कोई घोषणा कर दे। चुनाव सुधारों को लेकर हाल ही में कानून मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने भी कई अहम बैठकें की हैं और साथ ही कई सुझाव दिए हैं। जिसमें चुनाव आयोग की उन सिफारिशों को भी प्रमुखता दी गई है, जिसमें चुनाव सुधार की दिशा में मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने, कामन वोटर लिस्ट तैयार करने, रिमोट वोटिंग आदि विषय मुख्य रूप से शामिल हैं।
इसके साथ ही चुनाव के दौरान झूठे हलफनामे दाखिल करने वालों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई करने, चुनाव में तय सीमा से ज्यादा पैसा खर्च करने आदि के मामलों के लिए नियमों को सख्त बनाने की सिफारिश की गई है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग इन सुधारों को लेकर कानून मंत्रालय को कई बार अपने सुझाव दे चुका है। चुनाव सुधारों के तहत लोकसभा से लेकर विधानसभा और पंचायत आदि के चुनावों को एक साथ कराने का भी सुझाव है, लेकिन इस पर फिलहाल अभी चुप्पी है। उल्लेखनीय है आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने की कवायद फरवरी 2015 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा के कार्यकाल के दौरान आयोग द्वारा शुरू की गई थी।
हालांकि आधार-वोटर आइडी लिंकिंग प्रक्रिया को अगस्त 2015 में निलंबित कर दिया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड के उपयोग को एलपीजी और केरोसिन वितरण और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) तक सीमित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, लेकिन इसमें कटौती की जा सकती है, बशर्ते आधार विवरण एकत्र करने या राज्य के हित को अधिकृत करने वाला एक विशिष्ट कानून शामिल हो।
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