आजमगढ़ में मृत चिकित्सक को मिली तैनाती, सरकारी कागजों में जिंदा हुए मृत डॉक्टर।
आजमगढ़/प्रयगराज शहर के मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) के हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टर बीके मेहरोत्र दो साल बाद फिर से सरकारी कागजों में जिंदा हो गए हैं। शासन से जारी तबादला और पदोन्नति सूची में उनका नाम दसवें नंबर पर मौजूद होने से आजमगढ़ और प्रयागराज दोनों जगहों पर हड़कंप की स्थिति रही। दरअसल ट्रांसफर के दौरान उन्हें आजमगढ़ के तरवां अस्तपाल का सीएमएस बना दिया गया। प्रयागराज के सीएमओ स्तर पर इसे बड़ी चूक बता रहे हैं तो एसआइसी जांच कराने की बात कह रहे हैं। दूसरी ओर आजमगढ़ में 100 बेड हॉस्पिटल तरवा मे शासन से जारी तबादला सूची में डॉक्टर बीके मेहरोत्रा का नाम दसवें नंबर पर तरवा सीएमएस के लिए जारी होने पर सभी असमंजस में हैं।
प्रयागराज शहर के मोतीलाल नेहरू मंडली अस्पताल के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डा बसंत कुमार मेहरोत्रा का दो साल पहले बीमारी से निधन हो चुका था तो फिर उनकी नई तैनाती कैसे हो गई। वहीं वर्तमान में 100 बेड हॉस्पिटल तरवा के प्रभारी सीएमएस डा आर. एस. मौर्य ने बताया कि शासन द्वारा जारी लिस्ट में यहां के लिए डा. बसंत कुमार मेहरोत्रा की पोस्टिंग हुई है। अब वह जीवित है या उनका निधन हो गया है यह जानकारी हमें नहीं है वहीं इस बाबत शनिवार तक विभाग की ओर से कोई सूचना जारी न होने से आजमगढ़ जिले में चिकित्साधिकारी भी परेशान हैं।
तरवा में वर्ष 2008 से ही 100 बेड हॉस्पिटल का संचालन शुरू हुआ जो सीएमओ आजमगढ़ के चार्ज में चलता रहा। वर्ष 2018 के जनवरी माह से पहले सीएमएस डा. गंगाराम की तैनाती तरवा में हुई जो 31 मार्च 2021 को सेवानिवृत्त हो गए। उनकी जगह पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आर. एस. मौर्य बाल रोग विशेषज्ञ को प्रभारी सीएमएस बनाया गया वर्तमान में 100 बेड हॉस्पिटल तरवा में हड्डी रोग के लिए डॉक्टर पवन कुमार, डा. विनोद कुमार, बाल रोग में डा. राजेश राम, फिजीशियन डा. गुलाबचंद, चर्म रोग के डॉक्टर हरेंद्र सिंह हैंं। प्रभारी सीएमएस डॉ. मौर्य ने बताया कि वर्तमान में हॉस्पिटल में ओपीडी इमरजेंसी सेवा के साथ ही मरीजों के भर्ती करने की व्यवस्था भी शुरू हो गई है साथ ही 500 लीटर क्षमता का आक्सीजन प्लांट भी लगाया जा रहा है
वहीं प्रयागराज के जाने-माने हडडी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बसंत कुमार मेहरोत्र किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। लेकिन दो साल पहले बीमारी से उनका निधन हो गया था। उस समय वह मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) में तैनात थे। स्वास्थ्य सचिव रवींद्र की ओर से 15 जुलाई को जारी पत्र में प्रदेशभर के 17 चिकित्सकों के स्थानांतरण का आदेश किया गया। इस सूची में दसवें नंबर पर डॉ. बसंत कुमार मेहरोत्र का भी नाम दर्ज है। शासनादेश के अनुसार इन्हें काल्विन से स्थानांतरित कर आजमगढ़ जनपद के तरवां स्थित सौ बेड वाले संयुक्त चिकित्सालय में बतौर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर भेजा गया है। आदेश में यह भी लिखा है कि वह स्वत: कार्यमुक्त होकर अपनी नवीन तैनाती स्थल एवं पद पर तत्काल कार्यभार ग्रहण कर शासन को सूचित करें। सीएमओ डा प्रभाकर राय ने इसे बहुत बड़ी चूक बताया, कहा लापरवाही अक्षम्य है। इसकी जांच कराकर शासन स्तर पर अवगत कराया जाएगा। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. सुषमा श्रीवास्तव का कहना है कि मामला संज्ञान में है। डॉ बीके मेहरोत्र का निधन दो साल पहले बीमारी से हुआ था। जांच कराकर शासन को अवगत कराया जाएगा।
प्रयागराज,प्रयागराज शहर के मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. वीके मलहोत्रा के नाम से करीब-करीब सभी वाकिफ हैं। जी हां, वही डॉक्टर मेहरोत्रा जिनकी दो साल पहले मौत हो चुकी है। सुनने में तो यह बात अजीब लगती है लेकिन है सौ फीसद सच। सरकारी अमले ने उन्हें आजमगढ़ जनपद में एक अस्पताल का सीएमएस नियुक्त कर दिया है। यह यह हम नहीं, 15 जुलाई को शासन स्तर से जारी शासनादेश कह रहा है।
स्वास्थ्य सचिव के जारी पत्र में है स्थानांतरण का आदेश
स्वास्थ्य सचिव सचिव रवींद्र की ओर से जारी पत्र में 15 जुलाई को प्रदेश भर के 17 चिकित्सकों के स्थानांतरण का आदेश जारी किया गया। इस सूची में दसवें नंबर पर प्रयागराज में मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. बसंत कुमार मेहरोत्रा का भी नाम दर्ज है। खास बात यह कि उनकी मौत दो साल पहले हो चुकी है।
शासनादेश में यह उल्लिखित है
शासनादेश के अनुसार डा. बसंत कुमार मेहरोत्रा को मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) से स्थानांतरित कर आजमगढ़ जनपद के तरवा स्थित सौ बेड वाले संयुक्त चिकित्सालय में बतौर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर भेजा गया है। आदेश में यह भी लिखा है कि वह स्वत: कार्यमुक्त होकर अपनी नवीन तैनाती स्थल एवं पद पर तत्काल कार्यभार ग्रहण कर शासन को सूचित करें।
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