कोरोना के प्रभाव से मंडलीय जिला अस्पताल भी अछूता नहीं रहा,20 लाख की आमदनी छह लाख पर सिमट गई।
मरीजों की संख्या कम हुई तो 20 लाख की आय अटक गई छह पर
समिति के कोष से पूरी की जाती हैं जिला अस्पताल की जरूरतें।
आजमगढ़, कोरोना ने लगभग हर क्षेत्र में प्रभाव डाला। मंडलीय जिला अस्पताल भी इससे अछूता नहीं रहा।ओपीडी से लेकर आपरेशन तक की सेवा बंद हुई तो आमदनी एक तिहाई पर आकर अटक गई।कोरोना काल से पहले साल भर में 20 लाख की आमदनी होती थी जो अब छह लाख पर सिमट गई है।
समिति के कोष से अस्पताल की जरूरतों को पूरा किया जाता है। परिसर में हर्बल गार्डेन की स्थापना हो अथवा फटे बेडशीट की जगह नए की व्यवस्था करनी हो। अस्पताल परिसर में होने वाले सुंदरीकरण के लिए धन की व्यवस्था रोगी कल्याण समिति के कोष से की जाती है। अब अगर छह लाख से ज्यादा किसी काम पर खर्च करना होगा, तो अधिकारियों के हाथ बंध जाएंगे और उस काम को पूरा करना चुनौतीपूर्ण होगा।
कोरोना काल से पहले मरीजों की भीड़ लगी रहती थी। प्रतिदिन 1500 से 2000 ओपीडी के लिए पर्चे कटते थे और 20 से 25 छोटे-बड़े आपरेशन होते थे, लेकिन उसकी संख्या काफी कम हो गई है। जनरल वार्ड के मरीज को माइनर आपरेशन के लिए 50, मीडियम आपरेशन के लिए 200 और मेजर आपरेशन के लिए 300 रुपये जमा करने पड़ते हैं। प्राइवेट में वार्ड में भर्ती मरीजों को माइनर आपरेशन के लिए 150 रुपये, मीडियम आपरेशन के लिए 500 रुपये तो मेजर आपरेशन के लिए आठ सौ रुपये की रसीद कटवानी पड़ती है।सीटी स्कैन के लिए मरीज को पांच सौ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इस प्रकार हर स्तर पर मिलने वाली आय को रोगी कल्याण समिति में जमा किया जाता है। उस धन से अस्पताल की हर छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा किया जाता है।
अस्पताल को कोविड से पूर्व एक साल में 18 से 20 लाख रुपये की आय होती थी, लेकिन कोरोना महामारी के बाद यह घटकर लगभग छह लाख पर सिमट गई है।कारण कि शासन के निर्देश पर ओपीडी बंद रही और आपरेशन पर रोक लग गई थी।
कोरोना के कारण रोगी कल्याण समिति का कोष पूर्व की अपेक्षा अब एक तिहाई हो गया है। यह स्थिति कोरोना काल में ज्यादा दिन ओपीडी व आपरेशन बंद रहने के कारण उत्पन्न हुई है।वैसे अस्पताल की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम प्रयारसत हैं।
-अनूप कुमार सिंह, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, मंडलीय जिला अस्पताल।
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